भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का विवेचना कीजिए
Ans:-मौलिक अधिकार वह है जिनके बिना देश के नागरिक अपने जीवन का विकास नहीं कर सकते। जो स्वतंत्र रहता है तथा अधिकतर व्यक्ति तथा व्यक्तिगत का विकास करने के लिए समाज में आवश्यक समझे जाते हो, उन्हें मौलिक अधिकार कहा गया है। भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में धारा 12 से 35 तक की 24 धाराओं में वर्णित है। 44 वें संशोधन के बाद नागरिक को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त है जो निम्नलिखित है।
1 समानता का अधिकार: -समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है । कानून के सामने सभी बराबर है और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मां मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों पर प्रयोग सभी कर सकते हैं। छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है और सुना तथा शिक्षा संबंधी उपाधियां को छोड़कर अन्य सभी उपाधियां को समाप्त कर दिया गया है।
2 स्वतंत्रता का अधिकार: -नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 19 से 22 तक किया गया है। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और घूमने फिरने किसी भी स्थान पर बेसन या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी है। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान की गई है। किसी व्यक्ति को कानून का उल्लंघन करने पर दंड दिया जा सकता है और सजा कानून के अनुसार ही हो सकती है। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को वकील की सलाह लेने का अधिकार है और 24 घंटे के अंदर निकट के मजिस्ट्रेट के न्यायालय में उपस्थित किया जाना आवश्यक है।
3 शोषण के विरुद्ध अधिकार: -अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों के शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बचा या खरीद नहीं जा सकता है और नहीं किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता है, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।
4 धर्म कि स्वतंत्रता का अधिकार: -अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है । प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छा अनुसार धर्म को अपनाने तथा अपने इष्ट देव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने उनका प्रबंधन करने का और धार्मिक संस्थाओं की संपत्ति आदि रखने के अधिकार दिए गए हैं। सरकारी शैक्षिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
5 संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार: -अनुच्छेद 29 और 30 के अंतर्गत नागरिकों को संस्कृति तथा शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं । प्रत्येक जाति या समुदाय को अपनी भाषा लिपि संस्कृति और साहित्य को बनाए रखना उनका प्रसार तथा विकास करने का अधिकार है। सभी अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छा अनुसार शिक्षण संस्था की स्थापना करने तथा उनका प्रबंधन कार्य करने का अधिकार प्राप्त है। राज्य द्वारा शिक्षा संस्थानों को अनुदान देते समय भेदभाव नहीं किया जाएगा।
6 संवैधानिक उपचारों का अधिकार: -अनुच्छेद 32 के अनुसार प्रत्येक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की प्राप्ति और रक्षा के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है । यदि सरकार हमारे किसी मौलिक अधिकार को लागू नहीं करती या उसके विरुद्ध कोई काम करती है तो उसके विरुद्ध न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है और न्यायालय द्वारा इस अधिकार को लागू करवाया जा सकता है या कानून को रद्द कराया जा सकता है। उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय को इस संबंध में कई प्रकट के रेट जारी करने का अधिकार है।
याद आती मौलिक अधिकारों पर अनेक सीमाएं लगाई गई है परंतु फिर भी मौलिक अधिकारों द्वारा नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा की गई है और कार्यपालिका तथा संसद की सुरक्षा चरित पर अंकुश लगा दिया गया है।