भारतीय संविधान के अंतर्गत राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन करें?
उत्तर:
संविधान में राज्यों के लिए कुछ निर्देशक तत्व का वर्णन है। यह ऐसे उपलब्ध है जिन्हें न्यायालय का संरक्षण प्राप्त नहीं है। अत :है जब इन्हें न्यायालय का संरक्षण प्राप्त नहीं है, तब फिर उन्हें संविधान में स्थान क्यों दिया गया है । उत्तर में यह कहा जा सकता है कि इसके द्वारा नागरिकों की सामाजिक आर्थिक नैतिक तथा राजनीतिक प्रगति हो, इसी उद्देश्य से यह तत्व व्यवस्थापिका तथा कार्यपालिका के समक्ष रखे गए हैं। क्योंकि यह तत्व देश के शासन में मूलभूत है, आता राज्य की नीति इन्हीं तत्वों पर आधारित होगी और विधि बनाने में इन्हीं तत्वों का प्रयोग करना राज्य का कर्तव्य होगा संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व दिए गए हैं वह निम्नलिखित है
(i) आर्थिक व्यवस्था संबंधित निर्देशक तत्व –आर्थिक व्यवस्था में संबंध निर्देशक तत्वों का सार है समाजवादी प्रजातंत्र राज्य की स्थापना। यद्यपि कहीं समाजवाद शब्द का प्रयोग नहीं किया गया था। संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा 1976 ई में पहली बार भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी शब्द जोड़ा गया।
(ii) सामाजिक तथा शिक्षा संबंधी निर्देशक तत्व–इस वर्ग के अंतर्गत निम्नलिखित प्रधान निर्देशक तत्व आते हैं। राज्य समाज देश के नागरिकों के लिए एक समान व्यवहार संहिता बनाने का प्रयत्न करें, जिसे समस्त देश में एक ही व्यक्ति कानून हो जिसका आधार धर्म नहीं हो।6 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल देखरेख एवं शिक्षा की व्यवस्था करना राज्य का कर्तव्य होगा। राज्य अपने क्षेत्र के अंतर्गत सबों की शिक्षा तथा अर्थ संबंधी हितों की व्यवस्था करें। वह जनता के दुर्लभ उत्तर वर्गों की विशेषता अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों की शिक्षा तथा अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से उन्नति करें तथा सामाजिक अन्याय एवं अन्य प्रकार के शोषण से उनकी रक्षा करें। राज्य इस बात का प्रयास करें कि नागरिकों का स्वास्थ्य सुधार हो। वह अपना कर्तव्य समझने की लोगों का आहार पुष्टि कर और जीवन स्तर ऊंचा हो।
(iii) शान सुधार संबंधी निर्देशक तत्व–इस वर्ग के अंतर्गत दो उपलब्ध है जिसका उद्देश्य शासन के स्तर को ऊंचा उठाना है । वे उपलब्ध यह है।
1 राज्य ग्राम पंचायत का संगठन करेगा। उन्हें ऐसी शक्तियां तथा अधिकार दिए जाएंगे ताकि वह श्वेता शासन की इकाइयों के रूप में कार्य कर सके। इस उपलब्ध का प्रधान उद्देश्य है रचनात्मक कार्यक्रम द्वारा ग्राम सुधार।
2 राज्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक करने का प्रयत्न करेगा, ताकि निरपक्ष न्याय हो सके।
(iv) प्राचीन स्मारक संबंधी निर्देशक तत्व–हमारे देश में बहुत से प्राचीन स्मारक और खंडहर वर्तमान है, जो प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं। अता राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह ऐतिहासिक अथवा कलात्मक महत्व के प्रत्येक स्थानांतरित किए जाने वाले अथवा शहर भेजे जाने वाले से रक्षा करें।
(v) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित निर्देशक तत्व–राज्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की दिशा में निम्नलिखित आदर्श को लेकर चलने का प्रयत्न करेगा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की उन्नति, रसों के बीच न्याय और सम्मान पूर्ण संबंध की स्थापना, रास्तों के पारंपरिक व्यवहारों में अंतरराष्ट्रीय कानून तथा संधियों का आदर और अंतरराष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थ द्वारा निपटने का प्रयत्न । संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा कुछ नए तत्व जोड़े गए हैं, जैसे बच्चों को ऐसे अवसर एवं सुविधाएं दी जाएगी जिसे वे स्वस्थ रहता था स्वतंत्रता और मर्यादा की दशाओं में रहते हुए अपना विकास कर सके, राज्य ऐसी व्यवस्था करेगा जिससे देश में कानूनी प्रणाली द्वारा समान अवसर के आधार पर न्याय को प्रोत्साहन और विशेषकर उपयुक्त विधान या परियोजना द्वारा कानूनी सहायता मिले जिससे आर्थिक दृष्टि से अक्षम या किसी आने योग्यता के कारण कोई व्यक्ति न्याय पाने के अवसर से वंचित नहीं हो, मजदूरों को उद्योगों या संगठनों के प्रबंध में भागीदारी बनाया जाए, देश के वनों और जंगलों जानवरों की रक्षा की जाए।