प्राचीन भारतीय अभिलेख।ancient Indian inscriptions। History।By Md Usman Gani


 

परिचय: (introduction) 

:-राजा महाराजा के द्वारा अपनी आदेश को पत्थर धातु या मिट्टी के बर्तन पर खुदवाने की परंपरा को अभिलेख कहते हैं।

 खारवेल का हाथी गुफा अभिलेख: -

कलिंग राजा खारवेल का यह अभिलेख पूरी (उड़ीसा) के हाथी गुफा से मिला है। इसकी लिपि ब्राह्मी है। यह प्रथम सदी ईस्वी पूर्व के उत्तरार्ध का है। इसमें कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल की राजनीतिक उपलब्धियों एवं लोक मंगल कार्यों का उल्लेख मिलता है। उसने मगध तक का क्षेत्र जीत लिया था। इस अभिलेख की सर्वर प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें उसके प्रारंभिक 13 वर्ष के जीवन की घटनाओं का क्रम बंद विवरण मिलता है।

नागनिका का नाना घाट गुह अभिलेख:-

सातवाहन वंश के कई प्राप्त अभिलेखों में यह एक प्रमुख अभिलेख है। यह पूना के नाना घाट से मिला है। यह भी प्रथम सदी इसवी पूर्व के उत्तरार्ध का है। यह भी ब्राह्मी लिपि में है। इसमें सातवाहन शासक सातकर्णि प्रथम की पत्नी नाग निकालने विभिन्न यज्ञो का विवरण दिया है। इससे सातवाहन कालीन दक्षिण भारत की राजनीतिक, धार्मिक एवं आर्थिक स्थिति का पता चलता है ‌।

रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख:-

रुद्रदामन का ब्राह्मी लिपि में जूनागढ़ (गुजरात) अभिलेख एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभिलेख है। इसमें सुदर्शन झील पर निर्मित बांध का इतिहास मिलता है। दूरदर्शन झील की सांगोपांग जानकारी उपलब्ध कराने वाली इस अभिलेख को प्रकाश में लाने का श्रेय जेम्स प्रिंस महोदय को जाता है। इसमें रुद्रदामन की राजनीतिक उपलब्धियों का विवरण भी मिलता है। यह 150 ईसवी का है।

मिनांडर का शिनकोट प्रशस्त मंजूषा अभिलेख:-

खरोष्ठी लिपि में इंडो ग्रीक शासक मिनांडर का एक प्रमुख अभिलेख है। यह अफगानिस्तान के शिनकोट से प्राप्त हुआ है। इसकी राजधानी सकला थी जो पाकिस्तान का वर्तमान सियालकोट है।

गणडोफरनीज का तख्त ए बाही अभिलेख:-

पहलव शासक गणडोफरनीज का यह अभिलेख पेशावर के तख्त ए बाही से प्राप्त हुआ है। खरोष्ठी लिपि में है।

कनिष्क प्रथम का सुई विहार ताम्रपत्र लेख:-

शासक कनिष्क प्रथम का यह अभिलेख पाकिस्तान के बहावलपुर के समीप सुई विहार स्तूप से मिला है। यह 89 ईसवी का है एवं खरोष्ठी लिपि में है। इसमें कनिष्क कालीन धर्म की जानकारी मिलती है।

समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति स्तंभ अभिलेख:-

ब्राह्मी लिपि का या अभिलेख मूल्य: कौशांबी में था जहां से इलाहाबाद किले में लाया गया। किसकी लिपि ब्राह्मी एवं भाषा संस्कृत है। इसमें कुल 33 पंक्तियां हैं। इसमें गुप्त साम्राज्य समुद्रगुप्त का जीवन चरित्र एवं उपलब्धियों का विवरण है। इस अभिलेख को प्राचीन भारतीय अभिलेखों का सरताज कहा जाता है। इसमें समुद्रगुप्त की दिग्विजय योग का संपूर्ण उल्लेख मिलता है।

स्कंद गुप्त का जूनागढ़ अभिलेख :-

यह 456 इसवी का है एवं गुजरात के जूनागढ़ में मिला है। इसमें स्कंद गुप्त द्वारा होने की पराजय एवं दूरदर्शन झील के बांध के पुननिर्माण की जानकारी मिलती है।


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