*गुप्त कालीन शिक्षा एवं साहित्य*
इस काल में कालीदास, शूद्रक, विशाखदत, भारवि, भोट्ट, भास, विष्णु शर्मा आदि जैसे कई साहित्यकार हुए।
पुराणों के वर्तमान स्वरूप का विकास गुप्तकाल में ही हुआ।
रामायण एवं महाभारत की अंतिम रचना भी गुप्तकाल में ही हुई।
याज्ञवल्यक्य, नारद, कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना भी गुप्तकाल में ही हुई।
गुप्तकाल की तुलना पेरीक्लीज युग (एथेंस के इतिहास में) तथा एलिजाबेथ युग (अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में) से की जाती है।
गुप्त कालीन कला
गुप्त युग में मूर्तिकला ने अपने-आप को गंधार शैली से मुक्त कर लिया। UGC NET June 2022
तत्कालीन मूर्तिकला का सबसे भव्य नमूना है सारनाथ से प्राप्त धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा में बुद्ध की मूर्ति।
बिहार के भागलपुर से मिली बुद्ध की ताम्रमूर्ति एवं मथुरा से मिली बुद्ध की खड़ी मूर्ति विशेष हैं।
गुप्तकाल में हरेक शिक्षित एवं सुसंस्कृत व्यक्ति चित्रकला में दिलचस्पी रखता था।
अजन्ता की गुफाओं के भित्तिचित्र उस युग के कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा का परिचय देते हैं।
अजंता शैली के अन्य चित्र मालवा के बाध नामक स्थान से भी प्राप्त हुए हैं।
*गुप्त कालीन विज्ञान (Science)*
गणित के क्षेत्र में नवीन सिद्धांतों का विकास हुआ तथा प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्यभट्ट ने दशमलव पद्धति का आविष्कार किया।
आर्यभट्ट ने पहली बार बताया कि पृथ्वी गोल है एवं अपनी धुरी पर घूमती है तथा पृथ्वी एवं चंद्रमा की स्थिति के कारण ग्रहण लगता है।
आर्यभट्ट ने सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ की रचना की जो नक्षत्र विज्ञान से संबंधित थी, यह ग्रंथ उपलब्ध नहीं है, उन्होंने गणित के ग्रंथ आर्यभट्टेयी की रचना की।
ब्रह्मगुप्त इस काल के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे।
उन्होंने ब्रह्म सिद्धांत नामक ग्रंथ की रचना की।
ब्रह्मगुप्त ने खगोलीय समस्याओं के लिए बीजगणित का प्रयोग करना आरंभ किया।
वराहमिहिर गुप्तकाल के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे। उन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथों वृहत् संहिता एवं पंचसिद्धांतिका की रचना की।
वृहत्संहिता में नक्षत्र विज्ञान, वनस्पति शास्त्र, प्राकृतिक इतिहास एवं भौतिक भूगोल से संबंधित विषयों का वर्णन दिया हुआ है।
आर्यभट्ट के ग्रंथ पर भास्कर-ने इसी काल में टीका लिखी जो महाभास्कर्य,लघुभास्कर्य एवं भाष्य के रूप में प्रसिद्ध हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टांग संग्रह की रचना बाग्भट्ट ने गुप्तकाल में ही की।
आयुर्वेद के एक अन्य प्रसिद्ध ग्रंथ नवनीतकम् की रचना भी इसी काल में हुई।
पाल्काप्य नामक पशु चिकित्सक ने ‘हाथियों’ के रोगों से संबंधित चिकित्सा हेतु हस्त्यायुर्वेद नामक ग्रंथ की रचना की। UP PGT
प्रसिद्ध चिकित्सक धन्वंतरि चंद्रगुप्त-II के दरबार में था।
नागार्जुन इस काल का एक प्रसिद्ध चिकित्सक था, उसने रस चिकित्सा नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की।
इस काल में औषधि निर्माण के कार्य में तेजी आई।
धातु विज्ञान की इस युग में अत्यधिक तरक्की हुई।
लगभग 1.5 हजार वर्ष पूर्व निर्मित दिल्ली में एक लौह-स्तंभ में अभी तक जंग नहीं लगा है, जो तत्कालीन धातुकर्म विज्ञान के काफी विकसित होने का संकेत है।
इस प्रकार भौतिक एवं सांस्कृतिक श्रेष्ठता के कारण गुप्त युग को प्राचीन भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग (Golden Age) कहा गया है।
सल्तनत कालीन स्थापत्य:–
०कुतुबुद्दीन ऐबक:
०कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद(दिल्ली)।
०अढ़ाई दिन का झोपड़ा(अज़मेर)।
०कुतुबमीनार का प्रारभ।
०इल्तुतमिश:
०सुल्तानगढ़ी(नासिरुद्दीन महमूद का मक़बरा)
०कुतुबमीनार को पूर्ण करवाया।
०मदरसा ए नासिरी।
०हौज-ए-शम्सी(बदायूँ)
०शम्सी’ ईदगाह’(बदायूँ)
०जामा मस्जिद(बदायूँ)
०अतारकिन का दरवाज़ा(नागौर)
०गयासुद्दीन बलबन:
०लाल महल।
०बलबन का मक़बरा
०सर्वप्रथम वास्तविक मेहराब का प्रयोग।
०शुद्ध इस्लामी शैली में निर्मित।
०अलाउद्दीन ख़िलजी:
०अलाई दरवाज़ा(दिल्ली)
०हज़ार सितून(दिल्ली)
०हौज ए अलाई।
०हौज ए खास।
०जमात खाना मस्जिद(दिल्ली)
०इस्लामी परम्परा में निर्मित भारत की पहली मस्जिद।
०कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी:
०ऊखा मस्जिद(भरतपुर)।
०ग़यासुद्दीन तुगलक:
०तुग़लकाबाद।
०मुहम्मद बिन तुगलक:
०आदिलाबाद का मक़बरा।
०जहाँपनाह नगर।
०शेख़ निज़ामुद्दीन औलिया का मक़बरा।
०विजय मंडल का निर्माण।
०फिरोजशाह तुगलक:
०फिरोजशाह कोटला।
०ख़ान-ए-जहाँ तेलंगानी का मक़बरा(ख़ानेजहाँ जूनाशाह द्वारा)
०खिड़की मस्जिद(ख़ानेजहाँ जूनाशाह द्वारा)
०सिकन्दर लोदी:
०मोठ मस्जिद।
०इब्राहिम लोदी:
०सिकंदर लोदी का मकबरा।
०अष्टभुजाकर आकृति।
०दोहरा गुम्बद।
नोट–
०फिरोजशाह तुगलक ने "कुतुबमीनार" की पांचवीं मंजिल का निर्माण करवाया है।
०ख़ान-ए-जहाँ तेलंगानी का मक़बरा भारत का पहला अष्टकोणीय मकबरा है।
सल्तनत कालीन स्थापत्य:–
०कुतुबुद्दीन ऐबक:
०कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद(दिल्ली)।
०अढ़ाई दिन का झोपड़ा(अज़मेर)।
०कुतुबमीनार का प्रारभ।
०इल्तुतमिश:
०सुल्तानगढ़ी(नासिरुद्दीन महमूद का मक़बरा)
०कुतुबमीनार को पूर्ण करवाया।
०मदरसा ए नासिरी।
०हौज-ए-शम्सी(बदायूँ)
०शम्सी’ ईदगाह’(बदायूँ)
०जामा मस्जिद(बदायूँ)
०अतारकिन का दरवाज़ा(नागौर)
०गयासुद्दीन बलबन:
०लाल महल।
०बलबन का मक़बरा
०सर्वप्रथम वास्तविक मेहराब का प्रयोग।
०शुद्ध इस्लामी शैली में निर्मित।
०अलाउद्दीन ख़िलजी:
०अलाई दरवाज़ा(दिल्ली)
०हज़ार सितून(दिल्ली)
०हौज ए अलाई।
०हौज ए खास।
०जमात खाना मस्जिद(दिल्ली)
०इस्लामी परम्परा में निर्मित भारत की पहली मस्जिद।
०कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी:
०ऊखा मस्जिद(भरतपुर)।
०ग़यासुद्दीन तुगलक:
०तुग़लकाबाद।
०मुहम्मद बिन तुगलक:
०आदिलाबाद का मक़बरा।
०जहाँपनाह नगर।
०शेख़ निज़ामुद्दीन औलिया का मक़बरा।
०विजय मंडल का निर्माण।
०फिरोजशाह तुगलक:
०फिरोजशाह कोटला।
०ख़ान-ए-जहाँ तेलंगानी का मक़बरा(ख़ानेजहाँ जूनाशाह द्वारा)
०खिड़की मस्जिद(ख़ानेजहाँ जूनाशाह द्वारा)
०सिकन्दर लोदी:
०मोठ मस्जिद।
०इब्राहिम लोदी:
०सिकंदर लोदी का मकबरा।
०अष्टभुजाकर आकृति।
०दोहरा गुम्बद।
नोट–
०फिरोजशाह तुगलक ने "कुतुबमीनार" की पांचवीं मंजिल का निर्माण करवाया है।
०ख़ान-ए-जहाँ तेलंगानी का मक़बरा भारत का पहला अष्टकोणीय मकबरा है।
