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sleep
पाठ का हिंदी अर्थ
हमें नींद क्यों आती है, इस बात को कोई नहीं जानता। परंतु फिर भी सोना हम सबके लिए जरूरी है। सोना हमारे लिए नितांत आवश्यक है। यह हमारे शरीर और मस्तिष्क का विकास करने में, बढ़ाने में मदद करता है। हमारे शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने में मदद करने के लिए नींद लेना बहुत जरूरी होता है। जब हम सो रहे होते हैं तो उसे दौरान हम लोगों की मांसपेशियां हड्डियां और त्वचा बढ़ती है और विकसित होती हैं। नींद के दौरान हमारे मांसपेशियां त्वचा और शरीर के आने हिस्सों में लगे चोट भी ठीक होने लगते हैं। हम लोगों के मस्तिष्क को भी नींद की जरूरत हो जाता है। यह हमारे दिमाग को तरह ताजा रखती है और सोचने समझने की क्षमता बढ़ाने में मदद करती है। नींद की खुराक लेने पर हमारी याददाश्त शक्ति बढ़ती है। फिर हम किसी भी चीज पर बढ़िया से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
कितनी नींद हमारे लिए जरूरी है इस बारे में वैसे तो कोई 10 नियम नहीं है लेकिन आमतौर पर एक व्यापक आदमी 7 घंटे 20 मिनट तक सोता है। करीब 8% व्यस्त 5 घंटे या उससे भी कम नींद से संतुष्ट हो जाते हैं। जबकि चार प्रतिशत लोगों को 10 घंटे या उससे भी अधिक देर तक सोने की जरूरत महसूस होती है। 5 से 12 वर्ष तक के बच्चों को 10 से 11 घंटे की नींद की जरूरत होती है। शिशुओं को 14 से 18 घंटे की नींद चाहिए तो बुजुर्गों को उतनी भी नींद की जरूरत नहीं होती जबकि वह जवान थे। बूढ़े बुजुर्गों को दिन के समय थोड़े देर के लिए झपकी लेना जरूरी हो जाता है।
सोने के एक दौड़ में पांच चरण होते हैं। इनमें से प्रत्येक चरण 90 मिनट का होता है। रात भर में यह नींद का चरण 5 से 6 बार दोहराता है। पहले और दूसरे चरण में तुम सो जाते हो। पर तब तुम गहरी नींद में कतई नहीं होते। हां तीसरे और चौथे चरण में तुम गहरी नींद में चले जाते हो। तुम्हारे सांस लेने की गति और हृदय के धड़कन की गति धीमी पर जाती है और तुम्हारा जो शरीर है वह बिल्कुल शांत हो जाता है, बिना किसी हरकत के पांचवा चरण जब आता है नींद का तो तुम्हारा दिमाग सक्रिय होकर तुम्हें सपने दिखाती है। वह अवस्था जो नींद की होती है, उसे रैपिड आई मूवमेंट अथवा रम कहते हैं प्रेम की अवस्था के दौरान तुम्हारी पलकों के नीचे तुम्हारी आंखें हिलना शुरू हो जाती है।
आमतौर पर नींद को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला भाग होता है नींद का जबकि कोई सपना नहीं आता। यह चरण नींद का रात्रि के प्रथम भाग में होता है। यानी शुरुआती समय में। नींद के दूसरे भाग में सपनों का आना होता है। यानी रह-रह कर सपने आते जाते रहते हैं। यदि तुम इस दरमियान जाग जाते हो तो देखा हुआ सपना तुम्हें याद रह जाता है।
नींद के दौरान हमारा शरीर शिथिल पड़ जाता है। हमारे शरीर का तापमान भी काम हो जाता है। ऐसा होने का कारण है कि हमारे शरीर में 24 घंटे के दौरान विभिन्न चक्र स्वत चलते हैं जिसमें कुछ निश्चित अवधि के दौरान शरीर का तापमान कम ज्यादा होता रहता है। सामान्य तौर पर रात के मध्य में हमारे शरीर का तापमान सबसे कम होता है, जबकि दिन में दोपहर के समय हमारे शरीर का तापमान सर्वाधिक होता है, यानी सबसे ज्यादा।
स्कूल में ज्यादा बढ़िया से तुम अपनी पढ़ाई में ध्यान तभी लगा सकते हो जबकि तुम अच्छी प्रकार से सो पाते हो। तभी तुम नए विचारों को सोच समझ सकते हो, रचनात्मक विचार तुम्हारे दिमाग में उत्पन्न हो सकते हैं। अच्छी नींद लेने पर तुम स्वस्थ रहते हो। अपनी बीमारियों से भली भांति मुकाबला कर सकते हो। तभी तुम्हारा मूड यानी मिजाज अच्छा रहता है और परिवार एवं मित्रों के साथ तुम्हारी अच्छी बन सकती है। जब कभी भी तुम्हें अच्छी नींद की खुराक नहीं मिलती तुम चिड़चिड़ा हो जाते हो जो सीख भूल जाते हो सही निर्णय नहीं ले पाते, खेलने तक में दिक्कत का सामना करते हो, माता-पिता और शिक्षकों की बातों पर ध्यान नहीं दे पाते और मित्रों भाइयों और बहनों के प्रति भी तुम्हारा व्यवहार शांत और असामान्य नहीं रह पाता। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि तुम्हें सोने में दिक्कत आती हो। तुम कुछ घंटे के लिए ना सो पाओ, इसमें कोई खास दिक्कत नहीं होती। अगले दिन ऐसे में तुम थकावट महसूस कर सकते हो। पर तुम्हारे शरीर नींद ना लेने के नुकसान की भरपाई से वही कर पाने में समर्थ है। किसी प्रकार से यदि तुम रात भर यदि जागे रह जाते हो तो तुम असामान्य रूप से व्यवहार करना शुरू कर देते हो। ऐसे में तुम्हारा ध्यान लगाने की योग्यता और निर्णय लेने की योग्यता कमजोर पड़ जाती हैं। तब तुम्हारा व्यवहार असामान्य हो जाता है और तुम विचित्र चीजों की कल्पनाएं करना प्रारंभ कर देते हो।
बहुत लोगों को नींद नहीं आने की बीमारी लग जाती है। कुछ लोगों को सोने में दिक्कत होती है। कुछ लोग रात के मध्य में जाग जाते हैं कुछ लोग बहुत सवेरे ही जाग जाते हैं। ऐसे कई कारण है जिनके चलते यह होता है। वुड कर्म से चिंता करना और दबाव महसूस करना प्रमुख कारण है। हमारे आसपास के वातावरण में कई ऐसी चीज हैं जो हमारी नींद में बाधा पहुंचती है। जैसे सूर्य प्रकाश गर्मी ठंड या नया स्थान। दर्द और बीमारी भी लोगों के जैन का कारण बन जाते हैं।लेकिन नींद ना आने की बीमारी को नींद की गोलियां ठीक नहीं कर पाती। बढ़िया होगा कि हम नींद की गोलियां को ना ले। ज्यादा अच्छा होगा कि हम उन कर्म को पहचाने जिसे हमें नींद नहीं आती और उन कर्म को ही दूर करने का प्रयास करें। तब हमें स्वत :है नींद न आने की बीमारी दूर हो जाएगी।
